Tuesday 22 October 2019

तुम भी चुप रहो

तुम भी चुप रहो, हम भी चुप रहें । आँखें बंद करे, शायद कुछ देर शांती बनी रहें । न जाने इस उलझन को, कैसे सुलझाया जाय । अष्क़ भरी पल्कों को जाने कैसे सहलाया जाय । कुछ तो बात होगी, कुछ तो नतीजे होंगे । हम् ने तो ढूंढे बहोत, सुराग तुमने भी तो छोड़े होंगे । इस हालात पे, तरस नही ख़ाना चाहते । दिल लगायें बैठें हैं, हम अकेले जिंदगी गवाना नही चाहते । चाहते हैं के जनाजे से पहले, एक जीवन ऐसे जिया जाय । तुम चुप भी रहो, और हम सब समझ जाय ।

ऐकायला कान चार!

हवं असतं कुणीतरी ऐकेल जो काहीतरी ! उंचावतील भुवया पण पचवेल कसंतरी !! नको नुसतंच नातं दळायला पिठाचं जातं ! दिसभर गाणं दळायचं संवादाचं कारण फक्त !! बोलावसं वाटलं पाहिजे अश्रू अलवार निखळले पाहिजे ! भिजला जरी जरीचा खांदा धीराच्या ऊबेन वाळवला पाहिजे !! सगळाच नवखा पसारा बाळाला कसा कुणी आवरा ! जिंकले नक्कीच गड जातील प्रवासात थोडं कुणी सावरा !! आज नको तक्रार आणिक कुठलाच वार फक्त वाहूदे मळभ ऐकायला कान चार !!

Thursday 2 May 2019

हमने भी कह दिया कि जाओ

हमने भी कह दिया कि जाओ
आजमालो तकदीर अपनी
बटोंरों खुशियां जिंदगी की
बिना हमारे लेकिन,
कुबूल अधूरी है

अधूरी है हर जीत और
अधूरे कहे गीत है,

उस्तादों की भरी मैफ़िल में
बेखौंफ़ लिखना नज़्में
गूंज उठी हर ताली में
बिना हमारे, बस 
तारीफ़ अधूरी हैं !!

Wednesday 24 April 2019

जरुरत ..

क्यों की जरुरत है खिलने की 
तो झड़ जाना भी मुनासिफ हो .. 
नयी सुबह नयी किरणे 
पुरानी टहनी पे कल न जाने 
कोई नन्ही शुरुवात हो .. 

​आलम सुबह का हो या शाम का
सुहाना सफर इस जिंदगी का ..
शायद थोड़ा ठहरना जरूरी है 
आँख बंद किये कुछ सोचना जरूरी है .. 

नया तो दिन आना है जरूर ..
क्या आपने किस्मत कल आजमाई है हुज़ूर ???

Thursday 12 July 2018

जिंदगी - एक नजरिया

कश्ती भी बह रही थी
शायद किसी और से बढ़ रही थी !
किसी चौर से रूठ गई थी !!

पतंग डोल रही थी हवा में
शायद पास से दूर जा रही थी !
दूर होकर पास होने का सुख बाँट रही थी !!

पंख कांट रहे थे हवा के बहाव को
शायद उड़ रहा था गरुड़ मंजिल पाने !
या छुपा रहा था आंसू, जिंदगी के वह गाने, अनकहे अंजाने  !!

जिंगदी भी तोह बहती रहती है
शायद चलते रहना ऊसुल है !
सिखलाती रहती है !!

मैं रुक जाता हूँ कुछ देर
वह पल याद आतें हैं !
जिंदगी कठोर थी तब, अब नहीं
बीतें सुरों को दोहराता हूँ !!

शाम ढल रही है
मैं इंतज़ार करता हूँ !
कल फिर नई सुबह होगी
मुस्कुराये, इन पलों को गले लगता हूँ !!

एक बहाव

आगे बढ़ाते हुए, कुछ ना कुछ तो छूटेगा !
कुछ तुम भूलोगे, कुछ खुद तुमसे रुठेगा !!
जिंदगी पानी की बहाव से जियोगे !
तो बहते रहोगे ढलान की ओर !!

और मिल जाओगे सागर से,
तो फरमाना थोडासा गौर !!
बेहती जिंदगी आखिर, नाम और किसीके होजाएगी !
बहोत सिंची थी तकदिर, क्या आखिर किसीसे मिलकर खो जाएगी !!

जिंदगी का मतलब है अमर रहना !
हर तालाब से मिलकर, सागर का ख्वाब रखना !!
सागर कोई अंत नहीं, जरिया है अमरता का !
बूंद बूंद से बुना है, हर बूंद है नाम जिंदगी का !!

उम्मेद

सतत ओठांवर हसू असुदे
डोळ्यात उम्मेदीचे आसू असुदे !!
ओघळतील गालांवर अलवार
हर थेंबात नवी स्वप्न वसुदे !!

असूदेत हृदयात विश्वास खरा
जिव्हाळ्याचा ठोका न चुकलेलाच बरा !
मनात कुठेही शंका नको
मनगटात उम्मेदीचा ज्वर असुदे !!

सुंदर मनाशी मैत्री ठेव
निर्जीव जगण्याशी अंतर ठेव !
खूप असुदे आशा-अपेक्षा
स्वतःशी नको स्वतःची उपेक्षा !!

रंगव चिञ जे पुसणार नाही
नसेल रंगीत, पण कधीच रुसणार नाही !!
जुन्या सवंगड्यांशी नाळ तोडू नको
हर छंदाला तान्हाचं सोडू नको !!