तुम भी चुप रहो, हम भी चुप रहें ।
आँखें बंद करे, शायद
कुछ देर शांती बनी रहें ।
न जाने इस उलझन को, कैसे सुलझाया जाय ।
अष्क़ भरी पल्कों को
जाने कैसे सहलाया जाय ।
कुछ तो बात होगी, कुछ तो नतीजे होंगे ।
हम् ने तो ढूंढे बहोत, सुराग
तुमने भी तो छोड़े होंगे ।
इस हालात पे, तरस नही ख़ाना चाहते ।
दिल लगायें बैठें हैं, हम
अकेले जिंदगी गवाना नही चाहते ।
चाहते हैं के जनाजे से पहले, एक जीवन ऐसे जिया जाय ।
तुम चुप भी रहो, और
हम सब समझ जाय ।
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