हमने भी कह दिया कि जाओ
आजमालो तकदीर अपनी
बटोंरों खुशियां जिंदगी की
बिना हमारे लेकिन,
कुबूल अधूरी है ।
अधूरी है हर जीत और
अधूरे कहे गीत है,
उस्तादों की भरी मैफ़िल में
बेखौंफ़ लिखना नज़्में
गूंज उठी हर ताली में
बिना हमारे, बस
तारीफ़ अधूरी हैं !!
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