Thursday 12 July 2018

जिंदगी - एक नजरिया

कश्ती भी बह रही थी
शायद किसी और से बढ़ रही थी !
किसी चौर से रूठ गई थी !!

पतंग डोल रही थी हवा में
शायद पास से दूर जा रही थी !
दूर होकर पास होने का सुख बाँट रही थी !!

पंख कांट रहे थे हवा के बहाव को
शायद उड़ रहा था गरुड़ मंजिल पाने !
या छुपा रहा था आंसू, जिंदगी के वह गाने, अनकहे अंजाने  !!

जिंगदी भी तोह बहती रहती है
शायद चलते रहना ऊसुल है !
सिखलाती रहती है !!

मैं रुक जाता हूँ कुछ देर
वह पल याद आतें हैं !
जिंदगी कठोर थी तब, अब नहीं
बीतें सुरों को दोहराता हूँ !!

शाम ढल रही है
मैं इंतज़ार करता हूँ !
कल फिर नई सुबह होगी
मुस्कुराये, इन पलों को गले लगता हूँ !!

एक बहाव

आगे बढ़ाते हुए, कुछ ना कुछ तो छूटेगा !
कुछ तुम भूलोगे, कुछ खुद तुमसे रुठेगा !!
जिंदगी पानी की बहाव से जियोगे !
तो बहते रहोगे ढलान की ओर !!

और मिल जाओगे सागर से,
तो फरमाना थोडासा गौर !!
बेहती जिंदगी आखिर, नाम और किसीके होजाएगी !
बहोत सिंची थी तकदिर, क्या आखिर किसीसे मिलकर खो जाएगी !!

जिंदगी का मतलब है अमर रहना !
हर तालाब से मिलकर, सागर का ख्वाब रखना !!
सागर कोई अंत नहीं, जरिया है अमरता का !
बूंद बूंद से बुना है, हर बूंद है नाम जिंदगी का !!

उम्मेद

सतत ओठांवर हसू असुदे
डोळ्यात उम्मेदीचे आसू असुदे !!
ओघळतील गालांवर अलवार
हर थेंबात नवी स्वप्न वसुदे !!

असूदेत हृदयात विश्वास खरा
जिव्हाळ्याचा ठोका न चुकलेलाच बरा !
मनात कुठेही शंका नको
मनगटात उम्मेदीचा ज्वर असुदे !!

सुंदर मनाशी मैत्री ठेव
निर्जीव जगण्याशी अंतर ठेव !
खूप असुदे आशा-अपेक्षा
स्वतःशी नको स्वतःची उपेक्षा !!

रंगव चिञ जे पुसणार नाही
नसेल रंगीत, पण कधीच रुसणार नाही !!
जुन्या सवंगड्यांशी नाळ तोडू नको
हर छंदाला तान्हाचं सोडू नको !!

कठीण ज़िन्दगी

सपनो को पलकों पे सजाने में क्या जाता है !
आँखों को भी दुरी नापना सीखना होगा !

ख़्वाब सजाते रेहेते हैं जिंदगी जीने मकसत को !
तुम हर कोशिश में उम्मीद की कशिश रखना !!

पुरे हुए तो भी ख़्वाब है, न हुए तो कहाँ सूखा तालाब है !
मुरझाये फूल तो कहाँ पेड़ सूखता है, नयी उम्मीद में नयी कलियाँ ख़िलाता है !!

जिंदगी न कठीण है, न है सोची समझी !
उमदा जीना है तो चुननी भी होगी सुंदर उलझी सुलझी !!